मुझ में क्या अच्छा है (Mujh mein kya achaa hai? )






(Original poetry by @kaunquest)

मुझ में क्या अच्छा है 
मैं ने सोचा नयहीं 
तुमने देखा नही 

मेरे जितने ऐब है उतने 
रंगों की तुमने 
मेरी एक 

तस्वीर बनाली 


Mujh mein kya achaa hai.. 
maine socha nahin, 
tumne dekha nahin

Mere jitne aib hai utne
rangon ki tumne 
meri ek 

tasveer banaali..

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