आवारगी रही (aawaargii rahii..)



(Original poetry by @kaunquest)

suroor na rahaa..hosh na rahaa..
naam na rahaa.. aawaargii rahii

aawaaz kho gayii.. ehsaas so gayaa..
ilzaam ye rahaa... aawaargii rahii..

chale to bhi kahaan.. ruke bhi kyun yahaan..
na raah na dishaa.. aawaargii rahii..

samjhaane waale sab... suljhaane waale kam..
duniyaa ulajh gayii.. aawaargii rahii..

vo rahe vohii.. hum rahe nahiin..
ishq kyaa pataa... aawaargii rahii...

सुरूर ना रहा, होश ना रहा
नाम ना रहा, आवारगी रही

आवाज़ खो गयी, एहसास सो गया
इलज़ाम ये रहा, आवारगी रही

चले तो भी कहाँ, रुके भी क्यूँ यहां
ना राह ना दिशा, आवारगी रही

समझाने वाले सब, सुलझाने वाले कम
दुनिया उलझ गयी, आवारगी रही

वो रहे वोही, हम रहे नहीं
इश्क़ क्या पता, आवारगी रही

kaunquest

Comments

Madhulika Patel said…
बहुत सुंदर है आप की ब्लॉग । बेहतरीन रचना प्रस्तुति ।
Madhulika Patel said…
बहुत सुंदर है आपकी ब्लॉग । बेहतरीन रचना प्रस्तुति ।
Kaunquest said…
Thank you Madhulika
Anonymous said…
अजय जी, आपकी कविताए बहुत अच्छी हैं ।
हिंदी के एक सशक्त मंच के सृजन एवं कुशल संचालन हेतु बहुत-बहुत बधाई !!!
इन्टरनेट पर अभी भी कई बेहतरीन रचनाएं अंग्रेज़ी भाषा में ही हैं, जिसके कारण आम हिंदीभाषी लोग इन महत्वपूर्ण आलेखों से जुड़े संदेशों या बातों जिनसे उनके जीवन में वास्तव में बदलाव हो सकता है, से वंचित रह जाते हैं| ऐसे हिन्दीभाषी यूजर्स के लिए ही हम आपके अमूल्य सहयोग की अपेक्षा रखते हैं । इस संबंध में आपसे विस्तार से बात करने हेतु आपसे निवेदन है की आप हमसे अपना कोई कांटैक्ट नंबर या ईमेल शेयर करे ।
धन्यवाद,
संजना पाण्डेय
शब्दनगरी संगठन
फोन : 0512-6795382
ईमेल : info@shabdanagari.in
gurinder singh said…
बेहतरीन रचनाएँ...

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